Google ने साइबर सुरक्षा के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है। इसके AI एजेंट ‘Big Sleep’ ने एक बड़े साइबर हमले को होने से पहले ही रोक दिया। यह पहली बार है जब किसी AI ने वास्तविक दुनिया में साइबर खतरे को सक्रिय रूप से रोका है। Big Sleep ने SQLite डेटाबेस में एक गंभीर खामी (CVE-2025-6965) का पता लगाया, जो हैकर्स के लिए खतरा बन सकती थी। गूगल के डीपमाइंड और प्रोजेक्ट ज़ीरो की साझेदारी में विकसित इस AI ने साइबर सुरक्षा को एक नया आयाम दिया है। आइए, इस उपलब्धि के बारे में विस्तार से जानते हैं।
Big Sleep: साइबर सुरक्षा का नया सिपाही
1. ऐतिहासिक उपलब्धि
Big Sleep ने साइबर सुरक्षा में एक नया कीर्तिमान स्थापित किया है। गूगल के थ्रेट इंटेलिजेंस डेटा की मदद से इस AI ने SQLite डेटाबेस में एक मेमोरी करप्शन बग (CVE-2025-6965) को पकड़ा, जिसका CVSS स्कोर 7.2 है। यह खामी केवल हैकर्स को पता थी और इसका दुरुपयोग होने वाला था। Big Sleep ने इसे समय रहते ठीक करवाकर एक बड़े साइबर हमले को रोक दिया। गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई ने इसे “AI एजेंट के लिए पहली और निश्चित रूप से आखिरी नहीं” उपलब्धि बताया।
2. कैसे काम करता है Big Sleep?
Big Sleep गूगल के डीपमाइंड और प्रोजेक्ट ज़ीरो की संयुक्त तकनीक पर आधारित है। यह AI सॉफ्टवेयर में कमजोरियों को स्कैन करता है और संभावित खतरों को भविष्यवाणी करता है। 2023 में लॉन्च होने के बाद, नवंबर 2024 तक इसने अपनी पहली वास्तविक खोज की थी। अब यह न केवल गूगल के प्रोडक्ट्स, बल्कि ओपन-सोर्स सॉफ्टवेयर जैसे SQLite को भी सुरक्षित कर रहा है, जो दुनिया भर में लाखों डिवाइसेज़ में इस्तेमाल होता है।
3. गोपनीयता और जिम्मेदारी
गूगल ने Big Sleep को प्राइवेसी और जिम्मेदार AI सिद्धांतों के साथ डिज़ाइन किया है। कंपनी ने एक व्हाइट पेपर जारी किया है, जिसमें बताया गया है कि यह AI अनावश्यक कार्यों से बचता है और पारदर्शी तरीके से काम करता है। यह सुनिश्चित करता है कि साइबर सुरक्षा बढ़ाने के साथ-साथ यूज़र डेटा की गोपनीयता बनी रहे।
4. भविष्य की संभावनाएं
Big Sleep की यह सफलता साइबर सुरक्षा में AI की भूमिका को और मजबूत करती है। पारंपरिक रूप से, साइबर हमलों के बाद पैचिंग की जाती थी, लेकिन Big Sleep जैसे टूल्स अब खतरों को पहले ही भांप लेते हैं। गूगल का कहना है कि यह तकनीक भविष्य में और अधिक ओपन-सोर्स प्रोजेक्ट्स को सुरक्षित करेगी, जिससे इंटरनेट की सुरक्षा बढ़ेगी।
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Big Sleep की खासियतें
फीचर | विवरण |
---|---|
खोज क्षमता | सॉफ्टवेयर में सिक्योरिटी खामियों को स्कैन और पहचान करता है। |
थ्रेट प्रेडिक्शन | संभावित साइबर हमलों को होने से पहले भांप लेता है। |
सहयोग | डीपमाइंड और प्रोजेक्ट ज़ीरो के साथ मिलकर काम करता है। |
प्राइवेसी | जिम्मेदार AI सिद्धांतों के साथ डिज़ाइन, यूज़र डेटा की सुरक्षा। |
एप्लिकेशन | गूगल प्रोडक्ट्स और ओपन-सोर्स सॉफ्टवेयर जैसे SQLite को सुरक्षित करता है। |
साइबर सुरक्षा में क्रांति
Big Sleep की सफलता से साइबर सुरक्षा रणनीति में बड़ा बदलाव आ रहा है। पहले जहां टीमें हमले के बाद नुकसान की भरपाई करती थीं, अब AI की मदद से खतरे को पहले ही रोका जा सकता है। यह न केवल गूगल के लिए, बल्कि पूरी डिजिटल दुनिया के लिए एक बड़ा कदम है। विशेषज्ञों का मानना है कि भविष्य में ऐसे AI एजेंट्स साइबर अपराधियों के लिए सबसे बड़ा खतरा बन सकते हैं।
FAQs: आपके सवाल, हमारे जवाब
1. Big Sleep AI एजेंट क्या है?
Big Sleep गूगल का AI आधारित साइबर सुरक्षा टूल है, जो सॉफ्टवेयर में कमजोरियों को पहचानकर साइबर हमलों को रोकता है।
2. Big Sleep ने कौन सी खामी पकड़ी?
इसने SQLite डेटाबेस में मेमोरी करप्शन बग (CVE-2025-6965) को पकड़ा, जो हैकर्स द्वारा दुरुपयोग होने वाला था।
3. क्या Big Sleep केवल गूगल प्रोडक्ट्स के लिए है?
नहीं, यह ओपन-सोर्स सॉफ्टवेयर जैसे SQLite को भी सुरक्षित करता है, जिससे इंटरनेट की व्यापक सुरक्षा बढ़ती है।
4. Big Sleep की खोज कब हुई थी?
Big Sleep को 2023 में लॉन्च किया गया था, और नवंबर 2024 तक इसने अपनी पहली वास्तविक खोज की थी।
5. क्या यह AI प्राइवेसी को प्रभावित करता है?
नहीं, Big Sleep को जिम्मेदार AI सिद्धांतों के साथ डिज़ाइन किया गया है, जो यूज़र डेटा की गोपनीयता सुनिश्चित करता है।
निष्कर्ष
Google का Big Sleep AI एजेंट साइबर सुरक्षा में एक नया युग शुरू कर रहा है। SQLite की खतरनाक खामी को पकड़कर और एक बड़े साइबर हमले को रोककर इसने इतिहास रच दिया है। यह उपलब्धि न केवल गूगल के लिए, बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक सुरक्षित डिजिटल भविष्य की ओर इशारा करती है। क्या आप मानते हैं कि AI साइबर अपराधियों को हमेशा के लिए मात दे सकता है? हमें कमेंट्स में बताएं!
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